नंदिनी नगर महाविद्यालय
Nandini Nagar Mahavidyalaya
[Affiliated to Dr. RML Avadh University, Faizabad UP]
Nawabganj, Gonda, UP-271303
About
About College
About College
भगवान राम की नगरी अयोध्या से लगे हुए इस अंचल का दक्षिणी भाग कल-कल निनादिनी पुण्य सलिला सरयू की लोल लहरों से क्रीड़ा करता है और उत्तरी भाग पर्वतराज हिमालय के चरण प्रदेश का स्पर्श करता है।
जिस गोण्डा जनपद में नन्दिनी नगर महाविद्यालय है उसका प्राचीन नाम गोनर्द है, यानी गौएँ जहाँ नर्दन करती हैं। अतीत का यह वन क्षेत्र गोवंश की उपस्थिति से ही नहीं, प्राचीन वाड्मय को सूत्रबद्ध और समृद्ध करते आये ऋषियों - आचार्यों की तपस्थली होने के कारण भी स्फुरित और चैतन्य है। आज महाविद्यालय जिस भूमि पर है, गोण्डा जिले के दक्षिण छोर का वह हिस्सा अयोध्या और सरयू नदी के निकटवर्ती है। मान्यता है कि इसी भूमि पर रघुकुल के गुरु वशिष्ठ का आश्रम था। यहीं राम, लक्ष्मण आदि चारों भाइयों ने शिक्षा ग्रहण की थी। नन्दिनी ऋषि वशिष्ठ की स्वयं सिद्धा-महिमा मण्डिता धेनु (गाय) थी। इन्हीं धेनु की कृपा से अयोध्या के सूर्यवंशी सम्राट दिलीप के रघु जैसे परम प्रतापी पुत्र हुए। महाराजा रघु के गुरुत्व में बँधे महाकवि कालिदास ने 'रघुवंश' महाकाव्य का प्रणयन किया। इस महाकाव्य में नन्दिनी की महिमा का विशद् वर्णन है। इसी उल्लासपरक और महिमान्वित विरासत पर 11 नवम्बर, 1994 को नन्दिनी नगर महाविद्यालय की नींव पड़ी। इसके केन्द्र में थे श्री बृजभूषण शरण सिंह जी। वे यहाँ की पवित्र मिट्टी में पले शख्स हैं। उन्हे सदैव इस बात की तड़प रही कि यह भूमि प्राचीन गौरव से प्रेरित होक करुणा, शील, शौर्य, समृद्धि और ज्ञान-विज्ञान के प्रसार का केन्द्र बने । उनकी इस अभीप्सा का साक्षी, महाविद्यालय व माध्यमिक स्तर की वे 45 शैक्षणिक संस्थाएँ हैं, जिनके संस्थापक-प्रबंधक श्री बृजभूषण शरण सिंह जी हैं। वे देवीपाटन मण्डल के लिए महामना मदन मोहन मालवीय की तरह मान्य शिक्षा सेवी हैं। शिक्षा और जागरण के प्रति उनका उद्यम एवं उनकी प्रतिबद्धता इस महाविद्यालय को प्रतिष्ठित करने के अलावा असीम संभावनाओं से भी भर रही है।
उत्तरोत्तर प्रगति और विस्तार को प्राप्त हो रहा नन्दिनी नगर स्नातकोत्तर महाविद्यालय आज 55 एकड़ क्षेत्र में स्थित है। 200 कमरे, जिम, इन्डोर हाल, आडिटोरियम और विभिन्न विषयों की 40 प्रयोगशालाएं हैं। महाविद्यालय में आवासीय व्यवस्था भी है। बालक-बालिकाओं के लिए 250 कमरों का सुविधायुक्त हास्टल है और शिक्षकों के लिए 27 कमरों के हास्टल के स्वरूप को और व्यापक करने का प्रस्ताव है। विभिन्न संकायों में स्नातक और परास्नातक स्तर के दो दर्जन पाठ्यक्रमों में अध्ययन-अध्यापन हो रहा है। इनमें शिक्षा को गौरव-गरिमा प्रदान करने वाले पारम्परिक विषयों से लेकर कई आधुनिक, जीवन के करीब और रोजगार सापेक्ष विषय है। महाविद्यालय के लिए कई और विहंगम परियोजनाएँ प्रस्तावित हैं, जो अगले कुछ सत्रों में ही फलीभूत होने वाली हैं।